The shiv chalisa in hindi Diaries
The shiv chalisa in hindi Diaries
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धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥
दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै। भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै॥
शिव चालीसा - जय गिरिजा पति दीन दयाला । सदा करत सन्तन प्रतिपाला.
भए प्रसन्न दिए इच्छित वर ॥ जय जय जय अनन्त अविनाशी ।
पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे॥
शंकरं, शंप्रदं, सज्जनानंददं, शैल – कन्या – वरं, परमरम्यं ।
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर। भए प्रसन्न दिए इच्छित वर॥
Glory to Girija’s consort Shiva, that is compassionate towards the destitute, who normally shields the saintly, the moon on whose forehead sheds its wonderful lustre, and in whose ears will be the pendants from the cobra hood.
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट से मोहि आन उबारो॥
अर्थ: माता मैनावंती की Shiv chaisa दुलारी अर्थात माता पार्वती जी आपके बांये अंग में हैं, उनकी छवि भी अलग से मन को हर्षित करती है, तात्पर्य है कि आपकी पत्नी के रुप में माता पार्वती भी पूजनीय हैं। आपके हाथों में त्रिशूल आपकी छवि को और भी आकर्षक बनाता है। आपने हमेशा शत्रुओं का नाश किया है।
किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥
तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥
शिव चालीसा के सरल शब्दों से भगवान शिव को आसानी से प्रसन्न किया जा सकता है।